Raat

बस हुई आज की
कुछ कल उठके फिर लड़ेंगे
कुछ बुझ के फिर जलेंगे
कुछ सपने फिर झिलमिलायेंगे
और आँखों में टिमटिमायेंगे
कुछ रौनक नई सी होगी
और नया दिन अलग सा होगा
अभी नींद का बसेरा है
आकर मुझे गेरा है
सब आंखों में रुका सा पड़ा है
सच है कि सपना – धूमिल सा खड़ा है
अभी रात का डेरा है
कल सुबह नए दिन का फेरा है
-शैली-
decodingmyroots
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