इक इक कर छूटे सब ही , कुछ और अंधेरे लगते हैं
मैं तुझ में – तू मुझ में बस जा , फिर नये सवेरे लगते हैं
रात का दिन से रिश्ता पुराना – रोज़ के फेरे लगते हैं
दो पल अब तुम भी ठहरे – यहां तो सालों ठहरे लगते हैं
-Shally-
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